पिंजर मेरी पहली हिंदी पुष्तक थी और कई बार मैंने गुलज़ार की हिंदी कविताओं का संग्रह पढ़ा है. लेकिन हाली में मैंने ८ डाउन सहारनपुर पैसेंजर, एक लघु कहानियों की किताब, समीक्षण के इरादे से पढ़ी.

८ डाउन सहारनपुर पैसेंजर यह किताब लेखक सौरभ (कुमार ल ) ने लिखी है. इस किताब में कुल ७ लघु कथाएं है. ये ७ कहानिया काफी भिन्न है और रोमांच से भरी है. लेखन काफी सरल है और वाचकों को धरे रखेगा. कई कहानिया तो इतनी मनोरंजक है की हम इन कहानियों से एक रूप हो जाते है और हमें पता भी नहीं चलता. इन कहानियों का मुख्या उद्देश्य है मनोरंजन देना और वे सफलता पूर्वक वाचको का मनोरंजन करती है. किताब काफी छोटी है और आप इससे एक – दो घंटे में ही पढ़ के पूरा कर सकते है. कई कहानिया ऐसी है जो किताब पूरी होने के पश्चास्त भी आपके जेहन में रहती है.

इन ७ कहानियों में से मुझे सबसे ज़्यादा भाई वो कहानी है शापित. यह कहानी ज़ोंबी अपोकलीप्स पर आधारित है. में साई – फाई प्रेमी नहीं हु और साई – फाई पढनेका न तो कभी प्रयास करती हु इसके बावजूद मुझे यह कहानी ने धरे रखा इसका श्रेय लेखक की कला को जाता है. इसके अलावा ८ डाउन सहारनपुर पैसेंजर, जिसके नाम से किताब का नाम पड़ता है, यह भी कहानी काफी प्रेरणादायी है.

सारांश में कहे तो सारी कहानियों का कथानक नया है और आपको किसीके क्लाइमेक्स की पूर्वकल्पना भी नहीं लगती. आपको ये कहानिया ज़रूर लुभाएंगी.

रेटिंग : ⭐⭐⭐⭐

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